Saturday, December 29, 2007

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घने जंगल में भटकते हुए एक नास्तिक ने देखा कि उसे चारों ओर से भयानक दिखने वाले जंगली आदिवासियों ने घेर लिया है। पूरी स्थिति को देखकर वह भयभीत स्वर में अपने आप से बोला -
'हे भगवान, मैं तो फंस गया हूँ।'
आकाश में एक प्रकाश किरण चमकी और ऊपर से आवाज आई,
- नहीं, नहीं, तुम बिल्कुल नहीं फंसे हो। सामने जो पत्थर देख रहे हो, उसे उठाओ और तुम्हारे सामने सरदार खड़ा है उसके सिर पर मारो।''
उसने वैसा ही किया। सरदार मर गया।
आदमी ने इसे भगवान की इच्छा समझ राहत की सांस ली। जंगली और करीब सिमट आये और हिंसक हो उठे। नास्तिक सरदार की लाश के पास खड़ा संकट टलने की उम्मीद कर रहा था तभी फिर से आकाशवाणी हुई -
''हां! अब तुम फंस गये हो!''

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